समंदर दर्द का मैंने बना दरिया सजोया है
छिपाकर मोतियां दिल ने बिना आंसू के रोया है
तुम्हारे इश्क में मैंने बनाया ताज़ था जो कल,
उसी मालाबे के नीचे आज मैंने हर ख्वाब खोया है..!!
निगाहों का नशा करके नहीं फिर लौट पाया हूं,
शराबें होंठ तक लाकर नशें में ना डूब पया हू,
मेरे दिल को पिला दे जाम वो मयखाने में हो नहीं सकतीं,
अदाएं इश्क की पीकर नशें का जो लत लगया हूं..!!
तुम्हें बाहों में भरके जब भी सीने से लगाया है,
अकेले चाँद को आँखें दिखा उसको जलाया है,
वही अब आग बरसी है मेरी ख्वाबों की जन्नत में,
लगा सीने से रातों को मगर अब चाँद मुस्कुराया है..!!
सगाई मौत से करके मैं दूल्हा बन गया हूं,
पहन के इश्क का सहेरा कफ़न पे चढ़ गया हूं,
तुम्हारे याद में मरता था मैं तो रोज ही पल पल,
हकीकत आज की मेरी मैं कल का ख्वाब बन गया हूँ..!!
- Rishabh Bhatt