एक लड़का रात होते ही अपनी बालकनी में आता और तारों को देखता, उनसे बातें करता। ये सिलसिला महीनों तक चलता रहा। एक दिन ऐसा हुआ कि उस लड़के का पसंदीदा तारा टूटकर आसमान में बिखर गया। टूटते तारों से मुरादे करना मेरी और आपकी आदत है। वो तारा भी देखते ही देखते किसी और की ख्वाहिश बन गया और वो लड़का हमेशा के लिए अकेला रह गया।
अकेलापन, यहां से शुरु होती है वो कहानी जो मेरे और आपके हाथों में है। किसी की याद में हम वो सारी बातें लिख सकते हैं, कह सकते हैं, जो उसके होने पर शायद जाहिर भी नहीं कर पाते। ये किताब एक रात की तरह है जिसकी उम्मीदों की शाम तो हर रोज होती है लेकिन ख्वाइशों का सवेरा किसी आसमान में खो गया। आज साइंस इतना आगे बढ़ चुका है कि हम टेलीस्कोप से मिलो दूर किसी चीज को ढूंढ सकते हैं लेकिन कोई ऐसा माइक्रोस्कोप नहीं बन पाया जो दिल का टूटा हुआ हिस्सा बता सके। कोई ऐसा डॉक्टर नहीं है जो दिल में हुए जख्म को भर सके और न कोई ऐसी दुआ है जो टूटे हुए तारों को वापस जोड़ सके। फिर भी कहते हैं न कि वक्त पानी की तरह बहता हुआ अपना रस्ता ढूंढ़ ही लेता है। इसी क्रम में मुझे जो बहाव मिली वो थी मेरी कलम की स्याही।