एक रोज़ दिल से बात हो गई
ख़ूबसूरत वो या ख़ूबसूरत रात हो गई?
ये सवाल दिल ने पूछा मुझसे
क्या खास है उसमें कि तुम्हारी हर जस्बात उसकी हो गई?
अगर दे सको जवाब तो दो !
वरना दिल की ये राह मोहब्बत से अलग होना चाहती है।
फस गया मैं तो दिल की इस लड़ाई में
तब एक लंबी सी मुस्कान लेते हुए होंठों ने कहा
जब मैंने पहली बार उसको देखा
दिल ! तभी मैंने तुम्हें उसको दे दिया।
रही बात मोहब्बत से अलग होने की
तो राही मोहब्बत के दिल से अलग नहीं हुआ करते हैं
क्योंकि फ़िसलते रेत से अलग होना वक्त को कभी आया ही नहीं।
कहते हैं कि एक जैसे सात लोगों को
खुदा ना बनाया है...
मगर उसके जैसी हंसीं इस दुनिया ने पहली बार ही पाया है।
ना कोई उसके जैसा हुआ
ना कोई उसके जैसा होगा
उसकी इतनी ख़ासीयत काफ़ी है
कि वो सिर्फ़ एक है... इस दुनिया में सबसे हसीन।
दिल... तू और मैं उसी लड़की के दीदार में
एक साथ पागल हुए थे
याद कर ! मदहोशी का वो आलम
कि उसे देखने के बाद जन्नत की हूरें भी
बेकार सी लगने लगी...
एक वक़्त था जब मेरी रातों में चाँद थी
ख़ूबसूरती नहीं...
तारें थे मगर कोई साथ देखने वाला नहीं...
जिसके हाथों में मैं अपना हाथ उलझा सकूं!
जिसे बाँहों में भरके सीने से लग लूँ!
ये सारी खूबसूरती उसके आने के बाद ही आई है
इसलिये ख़ूबसूरत रात नहीं... ख़ूबसूरत वो है।
- Rishabh Bhatt