दिनकर की जल में परछाईं,
संध्या की लाली छाई,
निशा की ओर बढ़ा दिन,
नयनों में काली आई,
पर ये काया सूदूर चला,
जैसे प्रात: राजीव खिला,
खुशियों की रश्मि आई,
जब वो पहला दीप जला।
क्रम ये आगे बढ़ता,
दीपों का संचय मिलता,
जुगनू सा जगमग जगमग,
सारा जग ये करता,
पर वैसा ना आभाव मिला,
परिवर्ती मन का भाव ढला,
खुशियों की रश्मि आई,
जब वो पहला दीप जला।
उर ने यह जान लिया,
जलते दीपक से ज्ञान लिया,
जलकर जग रौशन करना,
दिनकर बनना ठान लिया,
दीपों से दीप जला,
नव पुर का द्वार खुला,
खुशियों की रश्मि आई,
जब वो पहला दीप जला।
🪔💫
Happy Diwali 💫🪔
“दीपों की रौशनी आपके हर अँधेरे में चमक भर दे,
खुशियाँ, प्यार और उम्मीदें हमेशा आपके साथ रहें। 💛”
🌿 Written by
Rishabh Bhatt 🌿
✒️ Poet in Hindi | English | Urdu
💼 Engineer by profession, Author by passion
बहुत सुन्दर काव्य 👌👌👌
ReplyDeleteVery very nice poetry 👌👌
ReplyDeletesundar kavita
ReplyDelete👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌
ReplyDeleteSubh diwali
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