उनकी पसंद का घर ये सजाऊं,
हे फूलों रंगोली मैं कैसी बनाऊं?
जिनको हृदय राम जी का चाहे,
महक को तुम्हारे दिल उनका सराहे,
हैं राहें घनी, उनको बताना,
कांटों को पैरों से उनके हटाना,
छाया से उनकी कुटिया भी तर जाएगी,
चरण धूल माथे से जग ये लगाएगी,
पर्वों में महापर्व एक,
आगमन को उनके मनाऊं,
हे फूलों रंगोली मैं कैसी बनाऊं?
हमारे नयन को है चाहत तुम्हारी,
मेरे नाथ अवगुण न देखो हमारी,
इतनी कृपा चाहूं मैं तुमसे दयामय,
जब तक है जीवन भजता रहे तुमको हृदय,
तेरे सरोवर का अमृत है पानी,
आधारों से मुझको मधु ये लगानी,
तू नारद के मुख में समाया है जैसे,
रग–रग से मैं भी तुझको ही गाउं,
हे फूलों रंगोली मैं कैसी बनाऊं?
उनकी पसंद का घर ये सजाऊं,
हे फूलों रंगोली मैं कैसी बनाऊं?
किताब : देव वंदना
🌿 Written by
Rishabh Bhatt 🌿
✒️ Poet in Hindi | English | Urdu
💼 Engineer by profession, Author by passion