ओ चंद्र बदन! मेरे नैना तृण तोड़े,
राई लेके हिय, प्रियतम तोसे जोड़ें,
ओ चंद्र बदन मेरे नैना तृण तोड़े।
मोहे याद नहीं मेरी श्रृंगार–संवारी,
तोको देखें बस नयन बिहारी,
निज कर चरणन में प्रभु आज पखारुं,
श्यामा जू तुम्ह पे, यह तन–मन हारूं,
केशो की निर्झर में बह तेरी हो लूं,
मैं वरण करत तुमको छूं लूँ,
उर नौका के नाविक देखो,
ओर तुम्हारी, मनधारा हर मोड़ें,
राई लेके हिय, प्रियतम तोसे जोड़ें,
ओ चंद्र बदन मेरे नैना तृण तोड़े।
मोको एक सहारा त्रिभुवन स्वामी की,
चिर काल कलपना जिन अनुगामी की,
मैं तृषित बनी देखन सुख–भोगी,
श्यामल तक के पीछे फिर! जोगी,
तेरो नाम कई हैं बनवारी,
तन विचरत कह कारी–कारी,
मन से लहर उठें देखो भर नैना,
अश्रु कणों में निज प्रियता छोड़ें,
राई लेके हिय, प्रियतम तोसे जोड़ें,
ओ चंद्र बदन मेरे नैना तृण तोड़े।
गाऊं तुमको मधुसूदन मैं सांझ–सवेरे,
आठों याम, जपत, काज करत बेरे–बेरे,
पाकर तुमको दिन मोरो हर्ष विशेखा,
माटी–माटी को बनते जस माणिक देखा,
चित पथिक बना, पथनायक हे,
भट गीत पिरो, भटनायक हे,
सुनो तान छिड़े ज्यों अधरों पे मेरे,
प्रेम से चितवन आज मरोड़े,
राई लेके हिय, प्रियतम तोसे जोड़ें,
ओ चंद्र बदन मेरे नैना तृण तोड़े।
🌿 Written by
Rishabh Bhatt 🌿
✒️ Poet in Hindi | English | Urdu
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