चलें चलें जहां युद्ध में कदम,
वतन पे हम निसार हों,
मिले कफ़न, ज़मीं चार गज़,
मौत ऐसी.... हमें प्यार हो,
हम हवाओं में देखते तुझे,
ख़्वाब कण-कण में बसें जान हों,
तेरी अस्मत पे ऐ वतन,
जान मेरी कुर्बान हो।
महबूब, मां और माटी से,
मैंने मोहब्बत बेतहाशा किया,
आखरी लबों ने मुस्कुराते हुए,
ऐ मेरे वतन नाम तेरा लिया,
तेरी गीतों में गाऊं शमां,
जश्न बाज़ी की ऐसी जवां शान हो,
तेरी अस्मत पे ऐ वतन,
जान मेरी कुर्बान हो।
धूप धूप में आग सी जलें,
जोश की नदी मिले बांह में,
राख मेरी उड़े परछाइयां बन,
मेरी कुर्बानी जलें स्याह में,
तेरी मिट्टी में मिल जाऊं,
भाग्य मेरा अमर बलिदान हो,
तेरी अस्मत पे ऐ वतन,
जान मेरी कुर्बान हो।
🌿 Written by
Rishabh Bhatt 🌿
✒️ Poet in Hindi | English | Urdu
💼 Engineer by profession, Author by passion