****
गगन मगन हो डोल रहा,
खग गुंजन कर बोल रहा,
पुष्प कली बिनु धूप खिली,
कोयल को नव गीत मिली,
****
जैसे नृत्य समीर करें,
ताल मिलाता नीर बहे,
भौं पुष्प छोड़ निकल,
चौपायों में भी हलचल,
****
बड़ी विकल हूई मत्सय कुमारी,
सुन्दर किसकी यह किलकारी,
जिसका करें सभी बखान,
कमल नयन मुख चन्द्र समान,
****
खिली मुस्कान मयूरी गला,
रंग उज्जवल जैसे कोई हंस मिला,
नव भुज तेज दमक रहा,
सूर्य किरण पा चमक रहा,
****
हर्षित माही जो पग स्पर्श मिला,
पुष्प खिला नवदीप जला,
तन शीतल जैसे मलय पवन,
नव राग उठा स्वर नूतन।
****
- Rishabh Bhatt
बहुत बहुत अच्छा कविता
ReplyDelete👌👌🤟🤟🤘🤘
Good poem👌
ReplyDeleteGood poem
ReplyDeleteबहुत बढिया
ReplyDeleteअच्छा कविता बहुत बढिया
ReplyDelete👌👌👌👌👌
ReplyDeleteVery nice poem
ReplyDeleteBahut khoob
ReplyDelete