तूं ख़ुदा है या खुदा का करम,
मेरी आंखों पर चढ़ा ख़्वाबों का भरम,
मिलतीं धड़कने दिल से आकर जहां,
तूं बन गया मेरी चाहतों का हरम....!!
तेरी राहों पे तारें बिछा दूं पूरा,
ऐसी कदमों का ठहराव बन जा ज़रा,
रेत ही बह चलें ख़्वाहिशें इश्क़ की,
मेरी फलकों के गिरने की बन जा वजह,
नींद आंखें न देखीं भीगती रात में,
बारिशें थम गईं तूं ही तूं बात में,
मेरी बाहों में भर जा तू आके सनम,
तेरे साये में ढक लूं मैं जिस्म बरसात में,
बालों में तेरी उंगली उलझने लगे,
कमर को पकड़ हम तुझमें सिमटने लगें,
हो एहसास की रात में इश्क़ की बारिशें,
बूंद बनकर नमीं होंठ में घुलने लगें,
खुल जाए नींद चाहतों की सनम,
बन्द आंखों में छिप जाएं सारे सरम,
मिलतीं धड़कने दिल से आकर जहां,
तूं बन गया मेरी चाहतों का हरम....!!
- S. Rishabh Bhatt