धुन को मैं धारण करता,धन की कुछ आश लिए,घूंट–घूंट बूंदों को पी कर,परम ताप में सांस जिए।
पग सिर की सोभा यह,कनक मणि है वस्त्र यही,ढोल नगाड़ों की गूंजें सुनना, यही उदय है अस्त यही।
पितृ समान आयु थी जिसकी,उसकी पगड़ी पैर तले,मदिरा के आदी कुछ उतपाती,बन बैरी वो गैर चलें।
पकड़ कांध को झपटे वे,हाथों को भी तान पड़े,खेल बना या बना खिलौना,मुझको न कुछ जान पड़े।
खींच–खींच इन हाथों को,लट्टू से वे नाच नचाएं,मनोरंजन का छवि उभरा,मस्त मगन हो सब मुस्काएं।
रंग बिरंगी उड़ी तरंगें,कौतूहल मन में छाया,रंग मंच से फेंका सबने,भू ने अपने गले लगाया।
पर शायद नया न कुछ इसमें,वर्षों से यह हाल मिले,सहन शक्ति की सीमा में इस,दो पहर की रोटी दाल मिले।
स्वीकार मुझे तिनके सा भी,मुझको न कोई मान मिले,दो टूक कलेजे का कर यदि,गृह के मुख मुस्कान मिले।
✒️ Written by Rishabh Bhatt
विस्तृत व्याख्या
पहला भाग:
कवि जीवन की कठिन परिस्थितियों को सहता है। धन और आशा के बीच केवल संघर्ष और पीड़ा का स्वाद मिलता है।
दूसरा भाग:
सम्मान के प्रतीक पगड़ी और वस्त्र शोर और अन्याय के बीच अपना महत्व खो देते हैं।
तीसरा भाग:
भीड़ और शराब में डूबे लोग वृद्ध और निर्दोषों का अपमान करते हैं, उनकी गरिमा पैरों तले रौंदी जाती है।
चौथा भाग:
व्यक्ति को खिलौने की तरह पकड़कर खींचा जाता है, जिससे उसकी मानवता और पहचान दोनों खो जाती हैं।
पाँचवाँ भाग:
भीड़ उसे नचाकर मनोरंजन करती है, बाकी लोग केवल ठहाके लगाते हैं।
छठा भाग:
रंग और उत्सव की आड़ में अपमान ढक जाता है। केवल धरती ही कवि को गले लगाती है।
सातवाँ भाग:
यह अन्याय कोई नया नहीं, बरसों से यही होता आ रहा है। सहनशक्ति की सीमा पर भी बस रोटी-दाल तक जीवन सीमित है।
आठवाँ भाग:
मान न मिलने पर भी कवि यही चाहता है कि उसका त्याग परिवार के चेहरे पर मुस्कान लाए।
सारांश
यह कविता अपमान, अन्याय और जीवन की कठिनाइयों को उजागर करती है। भीड़ के बीच व्यक्ति की अस्मिता मिटती है, पर कवि का ध्येय केवल इतना है कि उसके बलिदान से परिवार को मुस्कान मिल सके।
💡 सच्चा त्याग वही है, जो परिवार के चेहरे पर मुस्कान बनकर लौटे।
An Author, Poet & Engineer — wandering through worlds of logic, language, and longing. I turn emotions into stories and moments into art. Through books like “Mera Pehla Junoon Ishq Aakhri”, “Kasmein Bhi Du To Kya Tujhe”, “Unsaid Yet Felt”, “Incompleteness At Every Turn”and many more. I write of love, heartbreak, truth, and hope — where every line carries a soul. My works live on Pocket Novel, Amar Ujala Kavya, Amazon, Notion Press, Pothi.com and more. Founder of RishNova, I believe every untold story holds the power to heal, connect, and stay — forever.
Nii
ReplyDeleteBahut subder
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