गगन रात जाके तारों को लाई,
चमक फूलों में उनकी मिलाई,
मिला दो निगाहें सरारा सजन,
मैं तोसे मगन, तूं मोसे मगन,
कण–कण में प्रियतम तुझे पाऊं मैं,
उड़ा दो गुलाल रंग जाऊं मैं,
तोरी अंखियां तारों सी लागे मोहे,
लगा लूँ गले मैं भिगा के तोहे,
सजनी सरारा उड़ी है नजरिया,
ढकती है मोको तोरी चुनरिया,
कण–कण में प्रियसी तुझे पाऊं मैं,
उड़ा दो गुलाल रंग जाऊं मैं,
सखियों के संग–संग चली मैं दीवाने,
सीटी बजाकर बुलाए, कहे न माने,
जरा धैर्य रख लो हूँ आती सजन,
कपोलों पे रंग तोसे रंगाती सजन,
कण–कण में प्रिय तुझे पाऊं मैं,
उड़ा दो गुलाल रंग जाऊं मैं,
तुझ बिन न खेलेंगे होली सनम,
पूरी तैयारी से बैठें हैं हम,
जरा देर ठहरो, मेरी ओर देखो,
सजनी सरारा दुपट्टा न फेंको,
कण–कण में प्रिया तुझे पाऊं मैं,
उड़ा दो गुलाल रंग जाऊं मैं,
सखियों से दूरी बनाना मेरे,
तूं रंगों को तन पे लगाना मेरे,
पिचकारी से रंग भी न डालन मैं दूंगी,
छिछोरा न बनियों, वहीं मैं रहूंगी,
मय में मगन न तुझे पाऊं मैं,
उड़ा दो गुलाल रंग जाऊं मैं,
इतनी पाबंदी न मुझपे लगाओ गोरी,
हम हैं तुम्हारे बस, तुम हो मेरी,
लेकिन चिढ़ाना तनिक बनता है आज,
रूठन में तोहे मनाऊं पता मोहे राज,
मय में भी मयस्सर तुझे पाऊं मैं,
उड़ा दो गुलाल रंग जाऊं मैं।
🌸 Written by Rishabh Bhatt 🌸
(Author of Mera Pahla Junu Ishq Aakhri, Unsaid Yet Felt, Sindhpati Dahir 712 AD and more books, published worldwide)
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