तन पे लगें जब मेरे रंग थे,
तब से ही तुम जैसे मेरे संग थे,
गुलालों की महक में तूने मन को मेरे हर लिया,
तेरी याद घुल सी गई मयस्सर,
निगाहों ने पी लीं तुझे इक नज़र,
होशो–हवाशों को वश में तूने मेरे कर लिया।
मैं भर सी गई थी गागर जिया साजना,
नजदीकियों में दूरियां मिल सकें आज न,
तूं गुड़हल गुलाबी मेरे इश्क़ की साहिबा,
भैरों सा बहका दीवाना तेरा मुस्तफा,
तुम्हें नींद तारों से लाऊं,
तेरी प्यास बारिश से कहकर बुझाऊं,
चलें हम समंदर में साहिल यूं कदमों पे पग धर दिया,
गली नुक्कड़ों पर तराने ये गूंजें,
रहें साथ दोनों हम एक–दूजे,
माणिक मोहब्बत का सौ पाकर तुझे भर लिया,
तन पे लगें.................वश में तूने मेरे कर लिया।
मुझे धूप तेरा मिले,
होने से तेरे सवेरा मिले,
हो आधा–अधूरा सफर हर मुकम्मल,
पगडंडियों पे चलता है दिल ये सम्हल,
कहावत में लिखीं श्रृंगार सतरंगियां,
मोहब्बत में करती हैं दिल गुस्ताखियां,
तेरी याद आती, हो सांसों से मैंने जिगर भर लिया,
डोरी पिघल सी गई दरमियान,
यूं नजदीकियों में बंध रही हों जहान,
मुसलसल नज़र तराशे तुझे सारी उमर हैं पिया,
तन पे लगें.................वश में तूने मेरे कर लिया।
🌿 Written by Rishabh Bhatt
Author of Mera Pahla Junu Ishq Aakhri, Unsaid Yet Felt & many more bestsellers published worldwide.
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