हे राधे! नाम अमर कर दूं


अधरों में रख बोल तेरी,
हे राधे! नाम अमर कर दूं,
तूं धाम मुझे अपने ले ले,
मैं नाम तेरे जीवन कर दूं।

कान्हा की पगडंडी पे,
पग तेरी कैसे डोली?
बंसी की सुन मधुर गान,
जब नैना तूने खोली,

संग तेरे हों रास रचैया,
छवि ऐसी, हर एक नजर कर दूं,
तूं धाम मुझे अपने ले ले,
मैं नाम तेरे जीवन कर दूं।

मोहिनी रूप धरे हरि जब,
क्या वो तुमसे प्यारी थी?
हिय ने पूछा सुंदरता से जब,
सुंदरता ही तुमपे बलिहारी थी,

तेरी रूप निहारे नितदिन नैना,
चरणों में दो चार उमर कर दूं,
तूं धाम मुझे अपने ले ले,
मैं नाम तेरे जीवन कर दूं।

प्रेम अधूरा जग कहता है,
पूर्ण प्रेम का नाम है, ‘राधे’,
जिस प्रेम का कोई मोल नहीं,
उस प्रेम पे नाम लिखा है, ‘राधे’,

भोग लगा मन मिश्री की, 
मुख के स्वाद मधुर कर दूं,
तूं धाम मुझे अपने ले ले,
मैं नाम तेरे जीवन कर दूं।

- ऋषभ भट्ट 

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