हृदय में छवि हृदय की बनी है,
हृदय में बसें, जो हृदय के धनी हैं,
तुझे देख पुण्य मिल जाए चारों धाम की,
फूल से सजा दूं तुम्हें, ओ राम जी...।
मैं पहली कली, तुम कहानी हो बाग की,
हर अंधेरे में पहली ललक तुम चिराग की,
फूलों से सजा करके थाली,
तुझे पके दुनिया कमा ली,
झुक–झुकके जग ने जिसको प्रणाम की,
महिमा भी माला जपे तेरे नाम की,
तुझे देख पुण्य मिल जाए चारों धाम की,
फूल से सजा दूं तुम्हें, ओ राम जी...।
सोने की किसको महक चाहिए,
मुझे तेरी बस एक झलक चाहिए,
तू शीतल पवन है हमारा,
गगन में चमकता सितारा,
आंखों के दीपक के रहते न चिंता है शाम की,
तेरे सत्य पर डर मिट जाए इल्ज़ाम की,
तुझे देख पुण्य मिल जाए चारों धाम की,
फूल से सजा दूं तुम्हें, ओ राम जी...।
हृदय में छवि हृदय की बनी है,
हृदय में बसें, जो हृदय के धनी हैं,
तुझे देख पुण्य मिल जाए चारों धाम की,
फूल से सजा दूं तुम्हें, ओ राम जी...।
- Rishabh Bhatt (क़िताब : देव वंदना)
✨🪔शुभ दीपावली 🎇🙏🏻