तितली फूल लेकर जा रही हो तो


तितली फूल लेकर जा रही हो तो

एक उसके बालों में भी लगा आना,

फिर आएं लौट कर बहारें

तो बता देना मुझे उसका ठिकाना,

मैं अगली बहारों में भी

अपने बागों का फूल सजाऊंगा,

वो अपनी बालों में लगा सके

एक चमेली का गजरा बनाऊंगा,

तितली फूल लेकर जा रही हो तो

एक उसके बालों में भी लगा आना।

 

इंद्रधनुष को देखकर

कुछ रंग को मैं बटोर लूंगा,

कहानी तस्वीर के

इन लफ्जों से कहूंगा,

पत्ति के हरे रंग में

उसकी खिली हुई अदाएं,

गुलाब सी होठों में

धूप भी जैसे पानी गाए,

ऐसी मचलती बातों से

तू रंगों का सितार बजाना,

तितली फूल लेकर जा रही हो तो

एक उसके बालों में भी लगा आना।

 

मेरे रेत से खुर्द होठों में नमी

उसको चूमने की आज भी है,

शायद उसके दिल में

हवाओं में घूमने जैसी बात आज भी है,

मैं लौटा दूं उसे

उसकी खुशियों का बगीचा,

वक्त ने कुछ सालों पहले

जिससे मुझे खींचा,

मेरे तशरीफ़ से निकाल के

तू उसके दारीचे पर मुस्कुराना,

तितली फूल लेकर जा रही हो तो

एक उसके बालों में भी लगा आना।

 

सुना है खुदाओं के शहर

कुदरत से दूर होती है,

कुदरत के करिश्माओं में

जो जन्नत की हूर होती है,

वही हो तुम ,मेरे माथे पर चमकती

बेसकीमती जैसे कोई नूर,

तुम्हें लिख लिख कर ही

मैं हुआ हूं मशहूर,

मेरी पहली रुत, बहारों को

उसके ही नाम से सजना,

तितली फूल लेकर जा रही हो तो

एक उसके बालों में भी लगा आना।

 

होश में भी मदहोशी का आलम

भला आता कहां है?

नशा चढ़ने के बाद

इश्क का भला जाता कहां है?

नस-नस में घुसकर

दिल का कोना-कोना देख लिया,

पर इश्क का ठिकाना

मेरे दिल ने ही न दिया,

वह मुझ में समाई हुई है

भले बिछड़े हुआ जमाना,

तितली फूल लेकर जा रही हो तो

एक उसके बालों में भी लगा आना।

 

न दूध में ताकत थी

न दवाओं में हिफाजत थी,

उसके बाहों में सारी दवाई मिलती थी,

वही करती हिफाजत भी,

पर उसके जाने से

दिल चकनाचूर हुआ,

आम की ख्वाहिश लेक

बोया पेड़ बबूर हुआ,

आज बदन की, टूटे टहनी,

उससे पहले सावन खिल जाना,

तितली फूल लेकर जा रही हो तो

एक उसके बालों में भी लगा आना।


- ऋषभ भट्ट क़िताब : मैं उसको ढूढूंगा अब कहां?)

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