जैसलमेर में एक बड़ा मेला लगा हुआ था। समृद्ध अपने दोस्तों के साथ उस मेले में घूमने गया था। वही दूसरी तरफ कुलधरा ग्राम की एक ईशा नाम की मासूम लड़की अपने पापा के साथ जैसलमेर के उसी मिले में गई थी। खूबसूरत, मासूम सी दिखने वाली ईशा बहुत ही शांत स्वभाव की लड़की थी। समृद्ध अपने दोस्तों के साथ मौज–मस्ती करते हुए मिले में जा रहा था, तभी उसकी टक्कर ईशा से हुई। इस टक्कर की वजह से ईशा नीचे जमीन पर गिर गई। जिसे देखकर समृद्ध अपना हाथ आगे बढ़ता है और उठाता है। ईशा जब उठकर खड़ी हुई तभी उसके उसकी पैर एक बार फिर डगमगा गए और वह समर की बाहों में गिर गई।
उस पल उन दोनों ने महसूस किया कि जैसे आज सब कुछ बदल गया हो, हवाएं धीमी हो गई हों, चिड़िया चहचहाने ने लगी हो, और पूरी प्रकृति नाच रही हो। यकीनन यह इश्क ही था। ईशा काफी डर गई थी और समृद्ध जैसे वही खड़ा ईशा में खो गया। तभी ईशा के पापा समृद्ध को जोर का धक्का मारते हुए, ईशा के दोनों हाथों को पकड़ते हैं और उस घर चलने के लिए बोलते हैं। ईशा बस हां बोलकर उनके साथ, उस मिले में से घर चली जाती है। समृद्धि अब भी खड़ा ईशा को देख रहा था। उसके दोस्त वहीं उसका मजा लेते हुए उससे कहते हैं, भाई तुम तो बड़े छुपे रुस्तम निकले, बताया भी नहीं और भाभी बना ली। समृद्ध अपने हाथों से बालों में खुजली करते हुए अपने उन दोस्तों से कहता है, अरे नहीं भाई ऐसी कोई बात नहीं है। मैं तो उस लड़की को जानता भी नहीं। तभी उनमें से समृद्ध का एक दोस्त बोलता है, अरे भाई तो दिक्कत क्या है! अब जान जाओ, मैं उस लड़की को जानता हूं, यहां से थोड़ी दूर पर स्थित कुलधारा गांव में रहती है। कल तक मैं उसकी पूरी कुंडली निकालकर तुम्हें दे दूंगा। समृद्ध मन में मुस्कुराता है और अपने दोस्त से कहता है, ठीक है भाई, इतना कहने के बाद समृद्ध अपने दोस्तों के साथ एक बार फिर मेले में घूमने लगा।
अगले दिन समृद्ध का वो दोस्त ईशा की सारी जानकारी लाकर समृद्ध को दे दिया। समृद्ध अपने उन दोस्तों के साथ कुलधरा गांव में गया। ईशा अपने घर की छत पर खड़ी होकर आसमान को देख रही थी और कल मेले में समृद्ध से मिलने की उस पल को याद करती हुई, उसकी ही यादों में खो गई थी। इधर समृद्ध जब ईशा के गांव में आता है तो दूर से ही ईशा उसे देख कर पहचान गई। वो थोड़ी मुस्कुराती है और फिर दौड़ती हुई वह अपनी सहेली सिखा के पास गई और उससे बोली कि सिखा पता करो वह लड़का यहां क्यों आया है?
शिखा समृद्ध के पास आती है और सारी मामले का जायजा लेती है। समृद्ध से मिलने के बाद वो उसके संदेश को लेकर ईशा के पास गई। सिखा ईशा से कहती है, वह तुम्हें सॉरी बोलने आया है। यह सुनकर ईशा पहले मुस्कुराती है और फिर थोड़ी कठोर बनकर जवाब देती है, जाकर से बोल दो उससे, सॉरी की कोई बात नहीं। उसकी वजह से मैं मेला नहीं देख पाई अब वह वापस थोड़ी ना आ सकता है। सिखा ये बात समृद्ध को बताती है। इसके बाद समृद्ध उस गांव से जैसलमेर अपने घर चला गया।
दूसरे दिन फिर समृद्ध ईशा के गांव आया। उसके हाथ में एक गिफ्ट जो पूरी तरह पैक था, उसने लिया था। वह सिखा को बुलाता है और उस गिफ्ट को ले जाकर ईशा को देने के लिए बोलता है। सिखा उस गिफ्ट को ले जाकर ईशा को दे देती है। ईशा ने उस गिफ्ट को खोला तो उसमें एक कंगन का जोड़ा था। इस बहुत खुश हुई, लेकिन फिर वापस सिखा से बोलती है, यह ले जाकर उसे दे दो मैं नहीं ले सकती। इतना कहने के बाद ईशा सिखा से दूर चली गई। सिखा ने वह कंगन ले जाकर समृद्ध को वापस कर दिया। समृद्ध वहां से लौट गया। फिर अगले दिन वो ईशा से मिलने कुलधरा गांव में आया। यह सिलसिला कई अगले कई दिनों तक चलता रहा। धीरे-धीरे ईशा और समृद्ध एक दूसरे से प्यार करने लगे। वह हमेशा छुपकर मिला करते।
गांव के किनारे एक कुएं के पास वो घंटे साथ बिताते थे। समृद्धि जैसलमेर से 18 किलोमीटर की दूरी तय कर करके ईशा से मिलने रोज आता था। एक दिन समृद्ध को दो दिनों के लिए अपने एक रिश्तेदार के यहां जाना था। समृद्धि ने ईशा को बताया कि उसे जाना पड़ेगा, एक बहुत बड़ा उत्सव है। उसने यह भी कहा कि मैं वहां से तुम्हारे लिए ढेर सारे गिफ्ट लाऊंगा। जब ईशा ने सुना कि वह दो दिन तक समृद्ध से नहीं मिल पाएगी, तो वह मन दबाते हुए बोली, ठीक है। वो आगे कहती है, वो कंगन भी ले आना जो मैंने उस दिन तुम्हें वापस कर दिया था। ईशा की यह बात सुनकर समृद्ध मुस्कुराता है और उसे गले लगता है। थोड़ी देर बाद समृद्ध वहां से चला गया।
उसी दिन गांव में एक बड़ी घटना घटी। वहां के राज्य मंत्री सलीम सिंह को कुलधरा गांव के पुजारी की बेटी पसंद आ गई थी। इसलिए उसने पुजारी को धमकी दी कि अगर उसने अपनी बेटी की शादी उससे नहीं कराएगा तो वह पूरे गांव को तबाह कर देगा। यह बात कुलधरा के साथ वहां के 84 गांव में फैल गई। वह सभी गांव पालीवाल ब्राह्मण के थे, जो काफी एकता से रहते थे। उन्हें अपनी बेटी की मर्यादा जान से बढ़कर प्यारी थी। इसलिए उन सभी ने गांव को छोड़ने का फैसला किया। उसी रात सारे गांव के सभी लोग अपने-अपने घरों को छोड़कर चले गए और वह सारे गांव वीरान हो गए। वो सब कहां गए ? इसकी खबर किसी को आज तक नहीं मिली।
दो दिन बाद जब समृद्ध वापस जैसलमेर लौटता है तो वह बहुत ही खुशी के साथ सीधा कुलधरा गांव जाता है। वहां पर जाकर उसने देखा कि गांव पूरा खाली है। आसपास के गांव के लोगों से खबर मिली कि उस गांव के लोग गांव को छोड़कर कहीं चले गए हैं। समृद्ध अपने साथ गिफ्ट्स और कंगन लेकर ईशा को देने आया था मगर अफसोस वह कभी दे नहीं सका।
– ऋषभ भट्ट