हवाओं में फिर ये मोहब्बत की बरसात हो न हो,
छूले पलक को मेरी होंठों में कल ये बात हो न हो,
छूले पलक को मेरी....
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करीब आती है क्यूं इतनी सम्हलके बाहें आपकी,
भर लीजिए जी भरके मुझे यूं हों निगाहें आपकी,
कलियों में फिर ये गुलाबी हंसीं इक रात हों न हो,
अरसे मिले न मिलें हम, ऐसी मुलाकात हो न हो,
छूले पलक को मेरी होंठों में कल ये बात हो न हो।
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रंगों में ढूंढ लाई आपको रोमानी तस्वीरें ख्वाब की,
लड़खड़ा रहे हैं कदम आज तो, हो नशा शराब की,
मैं, तुम जहां में रहें, फिर ये हम वाली बात हो न हो,
हवाओं में फिर ऐसी मोहब्बत की बरसात हो न हो,
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छूले पलक को मेरी होंठों में कल ये बात हो न हो,
हवाओं में फिर ये मोहब्बत की बरसात हो न हो,
छूले पलक को मेरी होंठों में कल ये बात हो न हो।
- Rishabh Bhatt