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सुनो ! इक बात जो तुमसे कभी कह सका
मेरी दुनिया हो तुम.... मेरे दिल की दुआ..
तुम्हीं हो बदलते होंठों पर बारिशों की सदा
इस सरखरीद गुलाम के आरज़ूओं में टिकी
मेंहदी सी चढ़ती वफ़ा... तुम्हीं हो मेरी ख़ुदा,
शुक्रिया ! कि मैंने तुम्हारे मुस्कुराते चेहरे को चूमा
तुम्हें चूमकर लगा पहली दफा !
कि मेरी वफ़ा मेरे सांसों के करीब होने लगी है,
चौराहों पे मिलते ख्वाब तुम्हें मिलने बुलाते हैं
जो किसी ने न सुना वो किस्सा सुनाते हैं
कनीज़ की परछाईं में घुंघरू की छन-छन
रुनझुनाते कानों में गूंजती इश्क की आवाज
प्यासी आंखों में पहले अरसे की निकली चांद
चांदनी रातों में घुल गई कोई एहसास
मेरी दुनिया हो तुम... तुम्हीं हो दिल के पास
क्या खोया ? क्या पाया ? कुछ पता नहीं
बताना कभी मिल जाऊं तुममें अगर
हवाओं की झूठी लहक़ में कल चली जो
उमड़ आई उंगलियों में सरसराती हुई
ये अंदाज नया है पुराने से बिल्कुल अलग
मेरी दुनिया हो तुम... इस दुनिया से अलग
तुम्हारी हकीकत से मिलती हुई... या फिर
दिल की शुरुआती कोई दस्तक... तुमसे जुड़ी
रात ख्वाबों में मिली... कई पन्ने लिए
इतने कि गिनतियां तारों के पास नहीं
मेरी दुनिया हो तुम... फिर क्यूं दिल के पास नहीं
ज़िन्दगी के फरिस्तों सी हो तुम... कोई फरियाद
वक्त के बेहतरीन यादों में छिपा कोई कोना
चकाचौंध आंखों में जुगनू की चमचमाती रात
मेरी दुनिया हो तुम... इश्क की भीगी बरसात...।
- Rishabh Bhatt