सनातन की ओर लौट चलो..!!

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सनातन की ओर लौट चलो..!! सनातन की ओर लौट चलो..!!

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वो पश्चिम की दुनिया जिसपे कहर बन छाई है,

सदियों पुरानी सभ्यता कंकड़ पत्थरों में ढल आई है,

कुछ यूं करो कि शांति का स्वास्तिक फिर बदनाम न हो,

आक्रोश की आंधियों में फिर किसी सिमरन का नाम न हो..!!


सनातन की ओर लौट चलो..!! सनातन की ओर लौट चलो..!!


धर्मरुढ़ि वादियां इस कदर हमपे कहर बरसाईं हैं,

कि वेदों की सरस्वती भी एक कल्पना सी बन आई है,

कुछ यूं करो कि फिर किसी रामायण में सीता का झूठा त्याग न हो,

वचनों पे न्योछावर राघव पर उत्तर रामायण सा कोई दाग़ न हो..!!


सनातन की ओर लौट चलो..!! सनातन की ओर लौट चलो..!!


हर वक्त एक गूंज उठी है किसी व्यक्तित्व को मिटाने को,

हिटलर की नाजी नीति में हिन्दुत्व को खींच लाने को,

कब तक कोई शंकराचार्य आएंगे ? मनु अपनी स्मृतियों को हमें समझेंगे ?

कब होगा उदय उस गीत का जब गीता में कई सिकागो रंग जाएंगे..??


सनातन की ओर लौट चलो..!! सनातन की ओर लौट चलो..!!


थोड़ी सी आवाज में जोर दे अब आकाश में बिजली चमकनी चाहिए,

हर प्रायश्चित की आंख में आंसू नहीं लावा धधकनी चाहिए,

व्यापार हो फिर से नया हर चीज की फिर से नई इक दाम होनी चाहिए,

उन्नीसवीं ब्रिटेन की बीसवीं अमेरिका तो इक्कीसवीं सदी भारत के नाम होनी चाहिए..!!

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सनातन की ओर लौट चलो..!! सनातन की ओर लौट चलो..!!

- Rishabh Bhatt
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