महारानी पद्मिनी की जौहर गाथा ; भाग-2

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अस्वीकरण

यह कविता स्थानों, पात्रों, घटनाओं के अनुक्रम, स्थानों, बोली जाने वाली भाषाओं, नृत्य रूपों, वेशभूषा और ऐसे अन्य विवरणों के नाम के संदर्भ में ऐतिहासिक प्रामाणिकता या सटीकता का अनुमान या दावा नहीं करता है। हम किसी भी व्यक्ति (व्यक्तियों), समुदायों और उनकी संस्कृतिओं, प्रथाओं, अभ्यासओं और परंपराओं के विश्वासों, भावनाओं, भावनाओं का अनादर, अपमान या अपमान करने का उद्देश्य नहीं रखते हैं।

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गज गर्जन सा संबोधन था,रावल गढ़ के रणधीरों का,
दामिनी सी चम चम करती,असि हाथ लिए महिवीरों का,

एक एक रावल योद्धा खड़ा हुआ,बन पर्वत राज हिमालय था,
गढ़ का कोना कोना गृह था,तीर्थ वहीं देवालय था,

चकाचौंध आंखों में अरि की,निकले रश्मि कृपाणों से,
कपट लिए निकला उर में,विजय मिले न बाणों से,

अतिथि सत्कार चाहता हूं,ये हांथ नहीं रण प्यासी,
अरूण प्रिया का व्याख्यान सुना था,हूं दर्शन का अभिलाषी,

अतिथि रूप में खिलजी आया,रीति ने भुज बांध लिया,
एक किरण महारानी का फिर,था दर्पण ने पार किया,

जाने से पहले ही एक वांछा,अब मिले मुझे भी अवसर,
छल की जंजीरों ने जकड़ा भूपति को,लिए चला अपने कर,

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फिर एक संदेशा भेजा गढ़ को,कायरता पर अभिमान किए,
मांग पद्मिनी की करता,तभी रतन के प्राण जिए,

चांद देखती वातायन से रानी,क्या कुल की मै एक बला हूं,
सुन्दरता पति पर भारी,क्या सच में मै अबला हूं,

हाय विधाता ! पथ दिखलाओ,मै भी सावित्री बन जाऊं,
अरि के कर को खंडित कर,अपने पति को मै लाऊं,

फिर बनी भवानी चली पद्मिनी,ले घूंघट दरबार जहां पर,
रण गर्जन में देरी क्यों,है रणधीरों की तलवार कहां पर,

एक संदेशा भेजो अरि को,स्वीकार करे तो मै आऊं,
अपने साथ सात सौ डोली,सहचरियों की भी लाऊं,

सज्जित हो डोली वीरों से,हर डोली में भरी कटारी हो,
गोरा बादल की निगरानी में,सोभित डारी डारी हो,

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भू पाट पाट डोली पहुंची,बप्पा रावल की टोली पहुंची,
काट काट अरि धड़ को,जय काल कपाली बोली पहुंची,

बोली शोणित मय तलवारों की,बैरी दल को शोणित युक्त किया,
रावल गढ़ के रणधीरों ने,रावल पति को मुक्त किया,

तनन मनन हो बैरी बोला,झुलस झुलस कर मुख खोला,
अपमानी ज्वाला में जलता,तूफानी झोंको से बोला,

आरव तोपों से बोला,बरछी भालों की नोकों से बोला,
जन जन की लहु बहाने को,संगर की बैरी दल डोला,

बोला अरि लहुलुहान करो जग,ले हय गज उत्थान करो अब,
जन जन पर टूट पड़ो तुम,शोणित से स्नान करो अब। 
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- Rishabh Bhatt 
 
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3 Comments
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  1. This poem say many things about rani padmavati nice paem👌🤟

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  2. I know many things about padmavati by this poem good poem

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