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रेत बन उड़ चलें प्रेम को मुड़ चलें,
राग अनुराग की लिए रंग हर गुण चलें,
सीख कोयल से मधुरता भरी स्वर,
पंकज की मृदुलता को रग-रग में भर ,
उड़ती तितलियों के संग लिए स्नेह का रंग,
रंगने को ये जग करने को प्रेममय,
द्वेश को दूर कर हो सहचर की जय,
पुष्प प्रेम का खिले भरे प्रेम से डाली,
जले प्रेम का दीपक है प्रेम की दीवाली।
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- Rishabh Bhatt
Sundar kavita 👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌
ReplyDeletesubh dipawali
ReplyDeleteदीवाली के शुभ अवसर पर सुन्दर काव्य
ReplyDeleteVery nice
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