अर्ज है तेरी नुमाइस में नज़्में ए नसल,
दिल लगाई दिलों में तूफ़ां छा गया,
चांदनी रात में जाम ऐसी पिलाई चांद ने,
निगाहों से निगाहें मिलाके नशा छा गया..!!
रेत ही रेत थी हर जगह मेरे दिल में,
वक्त बनके यू चक्कर चलाया तूने,
उड़ता रह गया इश्क की इस दास्तां में,
पन्ना पन्ना मेरे दिल का हवाओं को भा गया..!!
इश्क होंठों से तेरी कमर तक बह गई,
हवाओं का बहना पता न चला,
हुस्न का शिकारी यू लुट गया हुस्न पे,
अदाओं के मौसम का मज़ा छा गया..!!
तेरी तिरछी नज़र ने चलाय, मेरे,
तीर बूंदों सा दिल पे बरसने लगा,
फिर धीरे से मुझपे लुटाई हया इश्क की,
जिस्म को हुस्न का ये पागल अदा भा गया..!!
जालिम उम्र को बताएं कौन खामियां इसकी,
पूछता नहीं किसी से दिल लगाने से पहले,
उसकी अदाओं पे हम भी तो मर मिटे थे,
ख्वाबों से जादा उसका चहेरा छा गया..!!
महफ़िलों में बस वही एक थी क्या,
इस बात की खबर अब तक न मिली,
देखा था जहां में हसिनाएं बहुत,
मगर उसकी हरकतों से दिल भा गया..!!
- Rishabh Bhatt