कब्र में सोई प्रिये तुम जाग उठो
कोई आशिक आया है तुम्हें ह्रदय से लगाने
सफेद फूल का गजरा लिए
लाल होंठों में लाली बिखेरने
तुम्हारी बंद आंखों को हमेशा के लिए खोलने।
जिस्म में तुम बसी हो
रुहों में भी तुम बसी हो
फिर क्यों गई मुझे अकेला छोड़कर
उम्र कम थी तो मांग लेती
या मुझे भी अपने साथ ले लेती
अपनी तबस्सुम से जगाया जिन्हें
उन तम्मन्नाओं में इत्र की महक़
अपनी रातें तेरे संग बिताने के लिए आईं हैं।
कब्र में सोई प्रिये तुम जाग उठो।
सादी का जोड़ा खरीद लाया हूं तुम्हारे लिए
अंगूठी पहना दूं अपना हाथ दो
आंख का काजल मुझे न लगाओगी ?
कि कहीं नजर न लग जाए।
तुम लड़की से अचानक बीबी बन गई
करवा चौथ का व्रत याद करो
क्या वह सिर्फ मेरे लिए था ?
हाय ! नींद..... तुम्हें सुला गई
और हमेशा के लिए मेरी रातें जगा गई
हे चांद ! तुम तो देखते थे हमें साथ
लहलहाती नदी के किनारे
परछाईं बनकर न रोक सके
मेरी प्रिये चली गई।
- Rishabh Bhatt