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50 के दशक में चीन में एक तानाशाह हुआ
'माओ' जिसने गौरैया को मारने का अभियान चलाया
इस अभियान में तीस लाख से ज्यादा लोग शामिल भी हुए...
युगांडा में 70 के दशक में वहां के तानाशाह
'ईदी अमीन' ने सभी एशियाई लोगों को
देश से निकालने का आदेश दिया,
परिणाम ये हुआ कि करीब पांच लाख लोगों को
जान गंवानी पड़ी...
विकास या तानाशाही के नाम पर लिए गए ऐसे फैसले
अर्थव्यवस्था पर गहरा प्रभाव डालते हैं
जिससे विकास के लिए की गई कोशिश
हानियों का कारण बन जाती है...।
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'श्री सम्मेद शिखरजी' जैन धर्म के सबसे पवित्र तीर्थ स्थल हैं,
वर्तमान सरकार ने इसे ईको-टूरिज्म स्पाॅट में बदल दिया है
अर्थात् यह पर्यटन क्षेत्र घोषित हो चुका है
पर्यटन क्षेत्र....जिसकी सीमाएं सूट-बूट से लेकर
मांस-मछली तक जाती हैं, और शामें...
शराब में डूबी हुई भी मिल जाती हैं।
तीर्थ क्षेत्र में पदयात्रा की परम्परा है
जिसे नंगे पैर श्रद्धालुओं द्वारा पूरा किया जाता है,
यहां गाड़ियों का आगमन निषेध है...
लेकिन...टूरिस्ट स्पॉट घोषित होने के बाद
सीमाओं के उलंघन में लगातार बढ़ोतरी हो रही है
जो कि गलत है....और जैन समुदाय की आस्था पर
एक बड़ा चोट है...।
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देश में होने वाले कुल दान का 62% हिस्सा
जैन अनुयाई ही दान करते हैं,
देश की कुल income-tax में जैन समाज की हिस्सेदारी
लगभग 24% है,
जबकि उनकी आबादी केवल 0.37% है....
भारत में लगभग 16 हजार गौशालाएं है
जिनमें 12 हजार गौशालाएं अकेले जैन समाज द्वारा संचालित की जाती हैं....
देश की अर्थव्यवस्था में जैन समुदाय की भूमिका
इको-टूरिज्म स्पाॅट से होने वाले लाभ का अगणनीय गुणज है,
जो विचार का विषय है...।
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90 के दशक में राम जन्मभूमि आंदोलन अपने शिखर पर था
इतिहासकार मीनाक्षी जैन हों या फिर
जैन मुनि 'श्री लोकेश आचार्य जी'
सबने निसंदेह खुलकर राममंदिर का समर्थन किया,
रामलाल के पक्ष में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने पर
अहमदाबाद में जैनों द्वारा 24kg चांदी की ईंटें दी गईं, और
हिन्दू की तरह जैन समाज ने भी पूरे हर्ष और उल्लास से
श्री राम का स्वागत किया....
एडवोकेट हरिशंकर जैन अपने बेटे 'विष्णु जैन' के साथ
जिस तरह ज्ञानवापी केश में हिन्दू पक्ष के लिए लड़ रहे हैं
यह कभी नजरंदाज नहीं किया जा सकता....
जैनों ने हिन्दू आस्था के लिए अपना भाईचारा बखूबी निभाया है,
अब....श्री सम्मेद शिखरजी के सम्मान में सौ करोड़ हिन्दुओं की बारी....।
- Rishabh Bhatt