कर्मभूमि मखौड़ा धाम

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अयोध्या में श्री राम का जन्म होता है, और

उनके छठी के दिन महराज दशरथ 

चौरासी कोस की एक परिक्रमा का अनुष्ठान करते हैं...

इस परिक्रमा की शुरुआत मखौड़ा से होती है,

मखौड़ा... जिसकी उत्पत्ति मख से हुई है

मख अर्थात् यज्ञ।

वैदिक काल से ईश्वर की आराधना और

इच्छा की पूर्ति के लिए यज्ञ होते रहे हैं,

जब महराज दशरथ की व्याकुलता

पुत्र के लिए बढ़ती है

तब गुरु वशिष्ठ उन्हें पुत्र कामेष्टि यज्ञ करने की सलाह देते हैं,

इस यज्ञ को ऋषि श्रृंगी द्वारा सम्पन्न कराया जाता है, 

जिसके संबंध में तुलसीदास जी लिखते हैं -


"सृंगी रिषिहि बसिष्ठ बोलावा | 

पुत्रकाम सुभ जग्य करावा ||

भगति सहित मुनि आहुति दीन्हें | 

प्रगटे अगिनि चरू कर लीन्हें ||"


अर्थात्- वशिष्ठ ऋषि श्रृंगी को बुलाते हैं

जिनके द्वारा पुत्र कामेष्टि यज्ञ सम्पन्न किया जाता है,

इस यज्ञ से अग्नि देव प्रकट होते हैं और

पुत्र प्राप्ति के लिए खीर देते हैं।

गीता में कृष्ण कहते हैं- जब-जब संसार में अर्धम बढ़ता है,

तब-तब धर्म की स्थापना के लिए मैं अवतरित होता हूं...

यह क्षण मर्यादा पुरुषोत्तम के गर्भ धारण करने का समय था

राजा दशरथ खीर को अपनी रानियों में बांट देते हैं, और

खीर खाने के बाद उनके गर्भ में भगवान को स्थान मिलता है।

 

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कुछ समय बीतें... और वो क्षण आया
जब श्री राम ने जन्म लिया 

"नौमी तिथि मधु मास पुनीता। 
सुकल पच्छ अभिजित हरिप्रीता॥ 
मध्यदिवस अति सीत न घामा। 
पावन काल लोक बिश्रामा॥"

चैत्र माह, नवमी तिथि और शुक्ल पक्ष का दिन 
सरयू नदी के किनारे अयोध्या नगरी में 
राम का जन्म हुआ...
जिसे राम की जन्मभूमि कही गई।
लेकिन... अब भी कुछ बाकी था
राजा दशरथ श्री राम की छठी के दिन
चौरासी कोसीय परिक्रमा का भव्य अनुष्ठान करते हैं,
यह परिक्रमा उसी यज्ञ स्थली से शुरू होती है
जहां श्री राम ने गर्भ धारण किया, और
इसे ही राम की कर्मभूमि कही गई...
मनवर नदी के किनारे स्थित यह तीर्थ
आज भी मखौड़ा धाम के नाम से 
अपने हृदय में राम को संजोए हुए है...।
- Rishabh Bhatt

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