दीपावली विशेष ; हिन्दी कविता

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हैप्पी दिवाली... मेरी जान,
कितना खूबसूरत पल है ये !
पटाखों से आसमान जगमग है
दीये की रौशनी से आंखों को एक चमक 
मिल चुकी है,
मिठाईयां एक के बाद एक, लोग खिलाते
जा रहे हैं,
नांच-गाने, मस्ती, खुशियां, रिश्ते-नाते,
सब एक दुसरे में खुद को भूल चुके हैं।
लेकिन... मेरी जान, 
मैं तुम्हारे लिए लिख रहा हूं
क्योंकि तुम्हें यहां ठहरना नहीं है।
एक मुस्कान जो मां ने तुम्हारे माथे को-
चूमते हुए भरा,
पापा का वो गर्व जिसने तुम्हें बाहों में
समेट लिया,
बहन के लिए गिफ्ट और भाई के वादों-
को भी पूरा करना है।
इसलिए तुम्हें रुकना नहीं है...
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गांव की गलियों में आज भी तुम्हारा कोई
इंतज़ार कर रहा है
पायल की गूंज और चूड़ियों की गिनती ने
तुम्हें ये जो ताक़त दी है,
उसे इस दिवाली ख़्वाबों सा सजाना है,
खुशियों को बांटना नहीं, बांटते जाना है।
मेरी जान, तुम्हारी मुस्कान मेरे कलम को 
ताक़त देती है, और
तुम्हारी ताक़त किसी और की मुस्कान
के लिए होनी चाहिए...।
चलो... इस दिवाली, 
हम देश को अपना बनाते हैं, 
और मिलकर खुशियों के राम को बुलाते हैं।
  - Rishabh Bhatt
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