Mere Seene Mein Lagi Tum Aag Ko Kaise Bujhaoge? 🩸 – Rishabh Bhatt | Zidd Zinda Hai

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ज़िद्द ज़िंदा है : Season–1

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मेरे सीने में लगी तुम आग को कैसे बुझाओगे? 🩸
मेरे सीने में लगी तुम आग को कैसे बुझाओगे? जल रही सौ पार दसकें पीढ़ियां घुटनों तले, आंशूओं की धार में फिर उड़ चलीं कुछ बुलबुलें, ख्वाब आंखों में लिए इक नई दुनिया संवरती, कल सही सब सोंचते — पर आज किसको भी खबर थी? ये आज मुझको जा रहा लेकर वहीं उस दौर में, निकला जहां से एक दिन वापस उसी फिर शोर में, ये ख्वाब सीने में जली तुम आग के सपने सजाओगे, मेरे सीने में लगी तुम आग को कैसे बुझाओगे? खून‌ पी पीकर पलीं फसलें किसानी खेत में, इक बटोही पी गया बिखरा समंदर रेत में, गोद सूनी आंशूओं से आज भी रोती कहीं तस्वीर ले, पर हंस रहा अपने कफ़न पर आज वो — यूं देखकर मंजिल नई तकदीर ये, इक राजनेता राजनीति की मिसालें दे रहा, उग्र सा उतरा युवा लेकर तिरंगा — ये कहां? सांसें झुलसती झुण्ड में इन क्रोध के मुझमें जहर कब तक मिलाओगे? मेरे सीने में लगी तुम आग को कैसे बुझाओगे? बुझ गई रौशन मशालें — देख ये नायाब सूरत सांझ की, हांथ में लेकर तराजू तोलतीं बढ़ती फकीरी रांझ की, इन ख्वाब में निर्भर शिराएं डूबतीं लेकर सहारा नाम का, फिर बन गई नीलाम सी देकर हवाला काम का, कातिलों की कातिली में डट खड़ी हैं आज भी मेरी विरासत शान से, आग का देकर हवाला बोलते खुद को विरासत, बन गयें अनजान से, पर गुमसुदा तुम कर रहे मुझको दिमागी खेल में, इन बन गयें इतिहास को कैसे भुलाओगे? मेरे सीने में लगी तुम आग को कैसे बुझाओगे? 🌿 Written by Rishabh Bhatt 🌿 ✒️ Poet in Hindi | English | Urdu 💼 Engineer by profession, Author by passion
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Rishabh Bhatt
कभी हार मान लेने का मन हुआ, तो कलम ने कहा — “ज़िद्द ज़िंदा है।” यहीं से शुरू हुई इस सीरीज़ की कहानी — उन लोगों की, जो टूटे तो सही, मगर बिखरे नहीं। जो गिरे, मगर हर बार उठ खड़े हुए। ‘Zidd Zinda Hai’ सिर्फ कविताओं का नाम नहीं, एक सोच है — कि हालात कितने भी कठिन क्यों न हों, अगर हौसला सांस ले रहा है, तो जीत अब भी मुमकिन है। इस सीरीज़ की कई कविताएँ Amar Ujala Kavya पर भी प्रकाशित हैं और ये मेरे किताब “ये आसमां तेरे कदमों में है” का भी हिस्सा हैं। मैं ऋषभ भट्ट, profession से एक engineer पर दिल से एक Writer हूँ। मेरी कलम ने हमेशा कोशिश की है कि शब्द सिर्फ पढ़े न जाएँ, बल्कि किसी के भीतर सोई हुई उम्मीद को जगाएँ। मेरी किताबें — मेरा पहला जुनूं इश्क़ आख़री, ये आसमाँ तेरे क़दमों में है, Sindhpati Dahir 712 AD …और कई अन्य रचनाएँ Notion Press, Pothi.com, Amazon, Flipkart सहित सैकड़ों प्लेटफ़ॉर्म्स पर उपलब्ध हैं। एक आखरी बात, ‘जब तक साँसें हैं, जब तक सपने ज़िंदा हैं, ज़िद्द भी ज़िंदा है। 💪✨’

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1 Comments
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  1. Wow,your thinking is great 👍👍👍👍 apke knowledge me deepness hai jo shayad har kisi me nahi hoti real amazing ..

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