बजरंग तुम्हारे सहारे मिलें



स्वर्ग के सारे नजारें मिलें,

बजरंग तुम्हारे सहारे मिलें,

चित्त हमीं से हमीं को आ,

पल भर में हम से हमारे मिलें,

बजरंग तुम्हारे सहारे मिलें,


महिमा तुम्हारी है जिस गति से आई,

आंखों से मैंने बस पलकें गिराई,

तेरी उड़ानों से विस्तार जग का,

समंदर के फैलाव सा मुझमें भरोसा,

अवगुण के लक्षण छुएं जो कभी,

गुण की हर थाली तुमने परोसा,

मेरे मन के संगम पर हनुमत मेरे,

गंगा से चरण तुम्हारे मिलें,

बजरंग तुम्हारे सहारे मिलें,


चित्त हमीं से हमीं को आ,

पल भर में हम से हमारे मिलें,

बजरंग तुम्हारे सहारे मिलें,


स्वर्ग के सारे नजारें मिलें,

बजरंग तुम्हारे सहारे मिलें।


सीने में राम, जीने में राम,

भक्ति में राम, रस पीने में राम,

शरबत तुम्हीं ने पिया वो प्रभु,

संसार ने जो अबतक पाया नहीं,

राम मिलें न तुम्हारे बिना,

तुम बिन राम को कुछ भाया नहीं,

तेरी कृपा ने तोड़ दिया,

राहों में जितनी दीवारे मिलें,

बजरंग तुम्हारे सहारे मिलें,


चित्त हमीं से हमीं को आ,

पल भर में हम से हमारे मिलें,

बजरंग तुम्हारे सहारे मिलें,


स्वर्ग के सारे नजारें मिलें,

बजरंग तुम्हारे सहारे मिलें।


इतनी दया हो जो चाहें बन जाऊं,

पुष्प बना खुद को तुझे मैं चढ़ाऊं,

तितली भी बैठी तेरे डाल पर ही,

जो रंगों का था उसने वरदान पाया,

तेरे वादों का सच इतना ही है केवल,

कहा तूने जो उसे है निभाया,

भंवरों में भय ने सुलाया मुझे,

खुली आँख तो हम किनारे मिले,

बजरंग तुम्हारे सहारे मिलें,


चित्त हमीं से हमीं को आ,

पल भर में हम से हमारे मिलें,

बजरंग तुम्हारे सहारे मिलें,


स्वर्ग के सारे नजारें मिलें,

बजरंग तुम्हारे सहारे मिलें।


दयामय, कृपामय, जय–जय तेरी जय,

हे सिद्धि अचल! हे बुद्धि अभय,

हे विस्तृत हृदय! हे साहस निर्भय,

हनुमत तेरी जय, जय–जय तेरी जय,

तूने बनाया हर बिगड़े समय,

मिट्टी के कण भी तूफां के आगे अजय,

तेरे जयगान ने संवारा मुझे,

पग–पग पर अमृत इशारे मिलें,

बजरंग तुम्हारे सहारे मिलें,


चित्त हमीं से हमीं को आ,

पल भर में हम से हमारे मिलें,

बजरंग तुम्हारे सहारे मिलें,


स्वर्ग के सारे नजारें मिलें,

बजरंग तुम्हारे सहारे मिलें।


– ऋषभ भट्ट (किताब : देव वंदना)

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