आज उसकी कहानी


कलम की लिखावट, फिज़ा की बनावट,

ओस की बूंद बनके आई है, 

कोई रौशनी की सजावट,

नर्म रूहों में, हंसी का चंचल पानी,

लिखते हैं दिल मरतबा, आज उसकी कहानी।


दो चार दिन का याराना, फिर ये ज़िंदगी अजीब है,

देखा हर किसी ने ख़्वाब को, गया कोई क्या करीब है?

मैं कली बनूंगी फूल जब, क्या मिलेगी बाग वो?

होंठ के लहेज़ मिले दिलों से, प्यार से,

छू सकूंगी क्या राग वो?

बूंद भी आसमां से चलती है ये सोचकर,

मैं बसाऊंगी ज़मीं पे खुशहाल एक घर,

ऐ जहां वालों बता दो मुझे, मैं ख्वाब देखना शुरू करूं?

प्यार से जिऊं, खुद की मर्जियों से,

या उलझनों से लड़ना शुरू करूं?

धड़कनों का चलना ही सिर्फ, होती नहीं जीने की निशानी,

मैं चाहती हूं हर ख़्वाब में, उड़ान आसमानी।


नर्म रूहों में, हंसी का चंचल पानी,

लिखते हैं दिल मरतबा, आज उसकी कहानी।


राह टेढ़ी मगर घिरे बादलों में धूप चल सके,

मेरी राह पे दो चार खुशी के पल,

हर मुसाफ़िर चल सके,

परवरिश ऐसी देना मुझे, मैं चुन सकूं क्या गलत? क्या सही?

परवाह इतनी कि वो घुटन बन जाए, लगाम ऐसी नहीं,

बसंत के महक से हैं बारिशें जैसे जुड़ी,

तितलियों को बांधती है फूल से कोई कड़ी,

मैं मोहब्बत की निशानी बनूं, दुआ इतनी देना मुझे,

गलतियों को भाप पहले ही, ऐ कदम खींच लेना मुझे,

मिली है जो ज़िंदगी उसी की जिंदगानी,

मेरी नादान बातें, हैं शायद गहरी कहानी,


नर्म रूहों में, हंसी का चंचल पानी,

लिखते हैं दिल मरतबा, आज उसकी कहानी।


- ऋषभ भट्ट 

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