मैं परिंदा थोड़ी न,
मैं पूरा आसमान हूं,
मैं देश का युवा हूं,
मैं ही अमृत वरदान हूं,
राजनीति से परे,
रणनीति पर अग्रसर हूं मैं,
पूरा विश्व देखता है जिसे,
मैं वो उठता हुआ सर हूं,
देश को सेवा हूं मैं,
समृद्धि का सत्कार हूं मैं,
विश्व में बंधुत्व का परिचय,
वैक्सीन का उपहार हूं मैं,
मैं अकेलेपन से भरा हुआ,
नई सोच का उड़ान हूं,
मैं देश का युवा हूं,
मैं ही अमृत वरदान हूं,
नहरों–नहरों से देश के
कोने–कोने में पहुंचता पानी हूं,
नवभारत के कोख से जन्मा,
निर्माण की कहानी हूं,
कि जिज्ञासा के शिखर पे पहुंचा,
चांद पर कदम हूं मैं,
हार एक की खुशी भी और गम हूं मैं,
नई टेक्नालॉजी से परिपूर्ण,
मैं नेटवर्क का जहान हूं,
मैं देश का युवा हूं,
मैं ही अमृत वरदान हूं,
इतिहास में लूटा जिसे,
मैं वक्त का वो युद्ध हूं,
शांति की अमानत,
मैं वर्षों से बुद्ध हूं,
देश का साइंटिस्ट, इंजीनियर,
डॉक्टर और मजदूर हूं मैं,
सिपाही को बंदूक भी,
प्यून के हाथों में झाड़ू का नूर हूं मैं,
ऊंच–नीच से दूर,
मैं संस्कृति की धरोहर महान हूं,
मैं देश का युवा हूं,
मैं ही अमृत वरदान हूं।
- ऋषभ भट्ट ( क़िताब : ये आसमां तेरे क़दमों में है)