मेरा महबूब आया है... नज़ारों आओ ! फूल बरसाओ !

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कलम के रास्ते अल्फाज़ कागज पर बिखरे हैं
मेरा महबूब आया है... नज़ारों आओ ! फूल बरसाओ !
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ऐ बहार ! ऐ गुलशन ! ऐ सुहाने मंजर !
अदाओं की तितली मेरे बाग में आई है
हकीकत से वाकिफ न थी ज़िन्दगी
नींद आंखों में जैसे इक ख़्वाब लाई है
सुर्ख़ होंठों की तरानों में बदली है
लफ़्ज़ों में सिसकियों की नई मिज़ाज छाई है
मेरा महबूब आया है... नज़ारों आओ ! फूल बरसाओ !
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इन सितारों की मंजिल झिलमिलाती रात जैसी है
नई रीति रिवाजों में ये आजिज बात कैसी है
बुझे दिल में दिखीं जलते सदाओं की रौनक
मेरा महबूब आया है... नज़ारों आओ ! फूल बरसाओ !
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कलम के रास्ते अल्फाज़ कागज पर बिखरे हैं
मेरा महबूब आया है... नज़ारों आओ ! फूल बरसाओ !
- Rishabh Bhatt

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