वन की भीलनी 🙇🏻

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दिव्य भक्ति संग्रह : Shri Ram Special

वन की भीलनी 🙇🏻
Poetry Cover
देखि राम बस एक टक निहारती, पूर्ण हुई अवधि वर्षों इन्तजार की, सुगंधित पुष्प ले प्रभु चरणों में पखारती, अश्रु भरे नत्र हृदय में आनन्द बहार थी। कहि प्रभु चरणों से धन्य हुआ गृह मेरा, क्षमा आर्य कष्ट हुआ जो ढूढन डेरा, हुआ हर्षित खगकुल दर्शन हेतु लगाए फेरा, छाया से प्रभु की मधुमय हुआ अरण्य बसेरा। तब से करु प्रतिक्षा जब जन्म लिए न रघुराई, कब,क्यों आयेंगे न पता बस बैंठी आश लगाए, सोचूं होवे अर्धम में भी छिपी तनिक अच्छाई, कारण जिसने प्रभु को भीलनी डीह दिखाई। बोलें रघुवर भ्रम में न पड़ो हे माता, रावण वध तो लक्ष्मण भी है कर सकता, बिन कारण भी मै द्वार तेरी आता, प्रेम युक्त मिलन ये भाग्य से लिखवाता। प्रतिक्षाएं पूर्ण होती हैं विश्व को बताना था मां, धर्म की स्थापना हेतु राम को आना था मां, श्रद्धा आकर्षण भविष्य को दिखाना था मां, मां इच्छा की पूर्ति हेतु राम को आना था मां। पलट बात फिर वह गृह को जाती है, भर झपोली बेर प्रभु हेतु वो लाती है, प्रथम स्वयं चख प्रभु को खिलाती है, स्वाद पूछ प्रभु से फिर मुस्काती है। पाता भक्ति स्वाद का रहा न मुझको ज्ञान, ग्रहण करु यह मैं अमृत सा जान, बोली बावली हो धन्य-धन्य हे कृपानिधान, सच मुच हो प्रभु तुम मर्यादा पुरुषोत्तम राम। किताब : देव वंदना 🌿 Written by Rishabh Bhatt 🌿 ✒️ Poet in Hindi | English | Urdu 💼 Engineer by profession, Author by passion
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