काले पल की काली

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उस काले पल की काली जीवन में काली भर डाली

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उदयित न था सूरज उस दिन ये अम्बर था खाली,

पी गया समझ अमृत जिसको वो निकला विष का प्याली,

उस काले पल की काली जीवन में काली भर डाली। 

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उस खुशबू की बगिया में न जाने कैसी ये डाली,

रंग बिरंगे फूलों को पल भर में काली कर डाली,

उस काले पल की काली जीवन में काली भर डाली।

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वो भोगों का भण्डार जहां आज हुआ है खाली,

स्वर्णों से भरा हुआ वो बदला पत्थर में थाली,

उस काले पल की काली जीवन में काली भर डाली।

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- Rishabh Bhatt

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