रामा रामा कण–कण पुकारे

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दिव्य भक्ति संग्रह : Shri Ram Special

रामा रामा कण–कण पुकारे 🌿
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रामा रामा देखो आज कण–कण पुकारे, नदियों की उर्मी, कोई बैठा किनारे, तरु दल बताएं वो उनके सहारे, फूलों की लाली भी रामा निखारे, रामा रामा देखो आज कण–कण पुकारे, रामा रामा देखो.....। मिथिला की गलियों में बनके जमाई, हस–हसके रस्मों की गाली हर खाई, स्वयंवर में सीता को जो सबसे थे प्यारे, विकल मन की चिंता विजयश्री निवारें, रामा रामा जन–जन के बनके सितारे, मिथिला–अवध के तुम राज दुलारे, देवता भी चाहें दर्श मिल जाएं तुम्हारे, मेघ से सूरज–मयंक निहारें, रामा रामा देखो आज कण–कण पुकारे, रामा रामा देखो.....। सबरी ने पुष्पों से राहें सजाई, बस फूल नहीं थे वो उर थी बिछाई, भीलनी की कुटिया पर राज्य भी हारें, मिलने को भक्त से वन को पधारें, भाव के भूखें हैं रामा हमारे, वो आएंगे जब भी कोई दिल से पुकारे, भंवरों की नौका के बनते किनारे, सुन लो हमारी ओ त्रिभुवन के प्यारे, रामा रामा देखो आज कण–कण पुकारे, रामा रामा देखो.....। 🌿 Written by Rishabh Bhatt 🌿 ✒️ Poet in Hindi | English | Urdu 💼 Engineer by profession, Author by passion
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