जय, जय, जय श्री कुमारी
श्री राधा के चरणों में समर्पित एक विनम्र काव्य
मेरे हृदय में छवि जैसे,
बस गई हो तुम्हारी,
मन ये भजता ही रहे तुमको,
जय, जय, जय श्री कुमारी..
नाम लेते ही तुम्हारा,
विघ्न जाती कट हमारी,
जय, जय, जय श्री कुमारी...
जय, जय, जय श्री कुमारी...।
उस धन का कोई मोल नहीं,
श्री चरणों की जिनपे छाप नहीं,
वह जीना भी तो व्यर्थ हुआ,
जिन सांसों में सदा रहती आप नहीं,
कि अब जीना भी हो,
तो वो सेवा बनके बस तुम्हारी,
नैन भटके तुमपे राधे,
राह मेरी श्री दुआरी,
हाँ! ठहर भी मिल जाए तो वो,
श्री प्रेम की दीवानी,
मन ये भजता ही रहे तुमको,
जय, जय, जय श्री कुमारी...
नाम लेते ही तुम्हारा,
विघ्न जाती कट हमारी,
जय, जय, जय श्री कुमारी...।
हो भाव प्रेम का बस उर में,
मुझको कोई और चाह नहीं,
हे बृजभानु किशोरी तेरे अलावा अब,
पग की मेरे कोई राह नहीं,
कि प्रेम मिल जाए तेरी राधा,
पुण्य जन्मों की भरी,
रंग बिखरे उर चमन में,
पुष्प जैसे हों संवारी,
चाह मुझको क्षण बहुत है,
कर कृपा दो महारानी,
मन ये भजता ही रहे तुमको,
जय, जय, जय श्री कुमारी...
नाम लेते ही तुम्हारा,
विघ्न जाती कट हमारी,
जय, जय, जय श्री कुमारी...।
🌺🙏 श्री राधा अष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ 🙏🌺
आपके जीवन में श्री राधारानी का प्रेम, कृपा और आशीर्वाद सदा बरसता रहे।
— सप्रेम, Rishabh Bhatt