दिव्य भक्ति संग्रह : Shri Ram Special
मुझे राम लाग है लागी रे 💝
मैं छोड़ नगर सब भागी रे,
मुझे राम लाग है लागी रे,
आज अवध को महाराज मिलें,
दर्शन को जिनके नैना जागी रे।
रोष नहीं, कुछ होश नहीं,
कदमों का कोई दोष नहीं,
चल–चलके डग हार गए,
पग होते मेरे बेहोश नहीं,
सदियों के तकते आंचल में,
तूने दिया बहुत कुछ त्यागी रे,
मैं छोड़ नगर सब भागी रे,
मुझे राम लाग है लागी रे।
जहां किराए का था डेरा,
तेरे आने से लगता, है कुछ मेरा,
राजमहल फिर और कभी,
आज दरस मिल जाए बस तेरा,
गा तुझको सुर में ताल बढ़े,
तूं फिरता चितवन में बैरागी रे,
मैं छोड़ नगर सब भागी रे,
मुझे राम लाग है लागी रे।
तितली सी मैं उड़ जाऊ,
रंग मिले जो तुमको, पाऊं,
तूं बादल जग है मेरा,
हर एक गरज़ मैं तुमको गाऊं,
सब्र नहीं अंखियन को,
आवेग हृदय के बड़े बागी रे,
मैं छोड़ नगर सब भागी रे,
मुझे राम लाग है लागी रे।
मैं छोड़ नगर सब भागी रे,
मुझे राम लाग है लगी रे,
आज अवध को महाराज मिलें,
दर्शन को जिनके नैना जागी रे।
🌿 Written by Rishabh Bhatt 🌿
✒️ Poet in Hindi | English | Urdu
💼 Engineer by profession, Author by passion
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