कहते हैं कि प्रकृति के संतुलन के लिए दो अलग तरह के लोगों का मिलना जरूरी है। लेकिन क्या होगा जब मिलेंगे कार्तिक और कृतार्थ ? क्या इनके प्यार को मिल पाएगी वो जगह ? जो मिलती है औरों को। या होगा कोई बदलाव जो पहले कभी नहीं हुआ ? जानने के लिए कि क्या कार्तिक जीत पाएगा सरकार से अपनी लड़ाई या नहीं ? पढ़िए "Certified Gay" सिर्फ "Pocket Novel" पर...
दोपहर का समय है और सीतमगढ़ का पूरा राजपरिवार एक साथ खाने के टेबल पर बैठा है। राजकुमार कार्तिक इस राज परिवार के इकलौते कुलदीपक हैं। इनकी पत्नी श्रशिका राजपूत है। जो अभी तक खाने के टेबल पर नहीं पहुंची। उधर सरकारी दफतर से एडवोकेट विष्णु जैन अपनी काली कोट पहने हाथ में एक प्रोपर्टी पेपर लिए चन्द्रभवन (राजपरिवार) की तरफ निकल दिए हैं।
माता काली कार्तिक के राज परिवार की कुलदेवी हैं। न जाने कब से और कार्तिक की कितनी पीढ़ियाँ हर साल कलकत्ता के कालीघाट शक्तिपीठ के दर्शन के लिए आती हैं, ऐसा माना जाता है कि ये मंदिर माता सती के 51 शक्ति पीठों में से एक है। इस जगह पर माता सती के दाएँ पैर की कुछ उगलीयाँ गिरी थी और यहाँ मंदिर का निर्माण हुआ।
कार्तिक और श्राशिका की सादी के 2 हफ्ते बाद पूरा राजपरिवार उनके साथ यहाँ कालीघाट में मंदिर में आता है। एक बड़े अनुष्ठान की तैयारी की गई। भण्डारे करवाए गए, कपड़े और कम्बल बांटे गएँ और हो भी क्यों न आखिर सीतमगढ़ होने वाले महाराज की शादी हुई है।
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