जापानी लोग तीन ताकतों को मानते हैं पहला तलवार, दूसरा रत्न यानी पैसा और तीसरा दर्पण यानी शीशा जो आत्मज्ञान को बताता है। कहते हैं कि सोंच अगर सही हो तो मंजिल आसानी से मिल जाती है और किसी ने बहुत सुन्दर पंक्तियाँ लिखी हैं कि जैसा दर्द हो वैसा मंजर होता है मौसम तो अपने अन्दर होता है। मेरे अंदर की गहराईयां मेरी एक दोस्त की लाइनों से जुड़ी हैं जो इस कहानी का शीर्षक भी है 'पापा हैज आलवेज बीन माई हीरो'।
दरअसल एक रोज की बात है मैंने गुस्से में पापा से कह दिया कि आपने मेरे लिए किया क्या हैं ? पापा ने कोई जवाब नहीं दिया बस भरी आँखों से मुझे देखते रहें और ये बात मेरे दिल में हमेशा के लिए छाप छोड़ गई। ये हमारे ऊपर है कि किस रंग के चश्मे को पहनकर मौसम देखते है वरना ठण्डी-गर्मी और दिन-रात एक कर देने वालों से मौसम का हाल कभी मत पूछना | स्कूल हमें एम्प्लॉई बनना सिखातें है लेकिन पापा हमेशा हमें एक एम्प्लॉयर बनाते है। इसकी शुरुआत वहीं से है जब पहली बार आप गोंद से आसमान की ओर जाते हैं ये ऊँचाई जिंदगी की सबसे बड़ी ऊँचाई है। मुझे इजहार न करने की आदत मेरे पापा की है और लफ्लों को आँखों से बयाँ कर देना किसी दोस्त की मजाकत है। जब इन्सान आइने में खुद को देखता है तभी उसे सच्चाई का पता चलता है आइने में देखकर आप खुद से झूठ बोल सकते हैं क्या? शायद यही कारण है कि में मेरे पापा जापानी ताकतों के सबसे बड़े मालिक 'दर्पण' हैं जिनसे मैं कभी झूठ नहीं बोल सकता। जिन्दगी के हर प्रिंसिपल में वे ही मेरे पहले अध्याय हैं।
दिल की भाषा में दिमाग को पढ़ लेना और दिमाग की बातें दिल को समझा देना, शायद यही तो है 'आत्मज्ञान'। जब भी लोग दिल से सोचते है तो दिमाग की बातें गलत लगने लगती है और दिमाग से लिया फैसला दिल को दर्द देने लगता है। बचपन में माँ की गोद से नीचे उतारकर या फिर झूले से गिर जाने पर पापा एक ही बात तो बोलते थें 'मजबूत होना सीखो। नये स्कूल में अंजान बच्चों के बीच पहला दिन रोते हुए बीत जाता और वापस वही बात 'मजबूत होना सीखों', मुझे बहुत बुरी लगती थी। फिर मेरे एक छींक आने पर वो कैसे पूरी रात जागते, एक जादूगर की तरह मेरी हर ख्वाहिश उनके कुर्ते के जेब में होती थी इसे मैं कैसे भूल सकता हूं। जिन्दगी का पहला प्रिंसिपल मुझे यहीं से मिला कि कब दिल को कठोर कर दिमाग की सुनों और कैसे दिल की सुनते हुए दिमाग को छोड़ जाओ। बचपन से आखरी साँस तक पापा से अच्छा इन्वेस्टर कोई नहीं हो सकता जिनके सबसे बड़े ऐसेट आप हो ।
एक बात याद आती है कि लोग अकसर मुझसे मेरे बालों के बारे में पूछा करते हैं। इसकी एक छोटी सी वजह है जो मुझे मेरे पापा के करीब रखती है। ये बात सही है कि लफ़्ज़ों का इजहार करना पापा को नहीं आता लेकिन मेरे छोटे बाल को देखकर जब हर बार वो बोलते हैं कि 'ऐसे ही बाल रखा करों' तो उनका प्यार, उनकी परवाह इन्हीं कुछ शब्दों में झलक जाती है। एक परछाईं की तरह पापा मेरे सबसे बड़े हीरों हैं जिनके बगैर मेरा आत्मज्ञान कभी मजबूत नहीं हो सकता।
ये कितना सच है न कि अगर किसी मंजिल की ओर बढ़ना है तो हमें उसी दिशा में सफर तय करना होगा मुश्किलों से जूझना पड़ेगा तब जाकर कहीं मंजिल पा सकते हैं। वक्त के साथ चीजें बदलती हैं लोग बदलते हैं और इनका बदलना भी जरूरी है क्योंकि इन बदलाओं से ही जिन्दगी के नये नियम बनते हैं और सोच को नई दिशा मिलती है। पापा मेरे बदलाओं के सबसे बड़े साथी हैं उन्होंने मुझे कभी रोकने की कोशिश नहीं की। शेयर बाजार में एक कहावत है कि आप सम्पत्ति के गुलाम नहीं सम्पत्ति आपका गुलाम है लेकिन अपने बेटे को अपना मालिक बनाने वाला इन्वेस्टर कभी एहसान के दो शब्द भी नहीं माँगता ऐसे होते हैं पापा। उन्होंने मुझसे एक बात कही थी कि तुम ठहर गये तो ठीक लेकिन तुम्हारी सोंच नहीं ठहरनी चाहिए। उस वक्त मैं इस बात को नहीं समझ पाया लेकिन आज इसका इस्तेमाल एक तलवार के ताकत जितनी है क्योंकि अगर सोंच ठहर गई तो जिंदगी ठहर जाती है।
सच ही तो है जिंदगी में तमाम मोड़ आते है ऐसे मकाम आते हैं जिनपर हमें धक्का लगता है, ठोकरे लगती हैं हम उस वक्त परेशान होते हैं कि हमारे साथ ऐसा क्यों हो रहा है पर ध्यान से देखा जाए तो जिंदगी उस झटके के जरिए हमें कह रही होती है कि जाग जाओ मैं तुम्हें कुछ सिखाना चाहती हूँ। जिन्दगी में कोई तुम्हें भाषण देकर या बातचीत करके नहीं सिखाएगा। तुम्हें खुद उस दौर से गुजरना पड़ेगा, कठिनाइयों से उलझना पड़ेगा, अपना रास्ता खुद ढूंढना पड़ेगा और फिर जिंदगी तुम्हें सबक सिखाएंगी, तुम्हें और बेहतर इंसान बनाएगी ।
ये बड़ी-बड़ी बातें हमें अकसर कम समझ में आती है हम तो केवल पैसों की भाषा समझते हैं, तो अगली कड़ी जापान के तीसरे ताकत रत्न से यानी पैसा। जिनके पास पैसा है वही नियम बनाते है और गरीब उन नियमों का पालन करते हैं, ये बात आपने बहुत से लोगों के मुंह से सुना होगा। ऐसा क्या है कि अमीर और अमीर होता जा रहा है और गरीब और गरीब होता जा रहा है ? कैसे पैसे के लिए काम कर रहे लोगों का नजरिया बदलना चाहिए ? इसके लिए पैसे को जानना जरूरी है वो पैसा जिसके लिए आप काम न करें बल्की आपका पैसा आपके लिए चौबीस घण्टे काम करे। एक रोज की बात है पैसों को लेकर मेरी पापा से बहस हो गई। उन्होंने एक छोटी सी बात कही कि मुझे पैसे पर नहीं पढ़ाई पर ध्यान देना चाहिए। उनकी ये बात सही थी लेकिन गुजरते वक्त के साथ वो दौर भी आया जब मुझे भविष्य में पैसों के लिए काम करना था। काम करने का मतलब सिर्फ यही तो नहीं कि हम पैसे के पीछे भागते रहें जरूरी ये है कि हमारा पैसा हमारे लिए काम करता रहे।
एक अमीर और एक गरीब में फर्क क्या है ? यही न कि अमीर मन से अमीर होता है सोंच से अमीर होता है पैसे से नहीं। पैसा आज है कल जा भी सकता है पर जो इंसान सोंच से अमीर है, जो ये जानता है कि पैसा कैसे सम्हाला जाए, पैसे को कैसे कमाया जाए और कैसे पैसे को बनाया जाए वो कभी भी गरीब नहीं हो सकता। कुछ वक्त पहले दिल की बातें शब्दों में बयां कर पाना मुश्किल था मगर अब शब्दों से खेल भी सकता हूँ, शुक्र है उस दोस्त का। उसने मुझे मेरे पापा के और करीब कर दिया। अब आँखों पे चश्मा नहीं मौसम से खेलने की चाहत है दिल में पैसा नहीं उससे भी बड़ी अमानत है। लेकिन बात तो ये भी सच है जो रॉबर्ट टी. कियोसाकी कहते हैं "पैसे से दूर रहना उतना ही बड़ा पागलपन है जितना कि पैसे के पीछे भागना"।