नवदीप


गगन   मगन   हो   डोल  रहा,

खग   गुंजन   कर  बोल  रहा, 

पुष्प  कली  बिनु धूप  खिली,

कोयल  को  नव  गीत  मिली,

 

जैसे नृत्य   समीर   करें,

ताल  मिलाता  नीर  बहे,

भौं  पुष्प  छोड़  निकल,

चौपायों में  भी  हलचल,


बड़ी विकल हूई मत्सय कुमारी,

सुन्दर किसकी यह  किलकारी,

जिसका   करें    सभी   बखान,

कमल नयन मुख  चन्द्र  समान,


खिली  मुस्कान   मयूरी    गला,

रंग उज्जवल जैसे कोई हंस मिला,

नव भुज तेज  दमक  रहा,

सूर्य किरण पा चमक रहा,

 

हर्षित माही जो पग स्पर्श मिला,

पुष्प  खिला  नवदीप  जला,

तन शीतल जैसे मलय पवन,

नव  राग   उठा  स्वर ‌ नूतन।


🌸 Written by Rishabh Bhatt 🌸

(Author of Mera Pahla Junu Ishq Aakhri, Unsaid Yet Felt, Sindhpati Dahir 712 AD and more books, published worldwide)


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