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यादों के आसियाने में यूं तो तारों की चमक भी चुभती है
फिर भी उम्मीद थी इस ईद को भी कोई चांद मिल जाए
दिल को उम्मीद थी तू आए....मेरी कोशिश थी कम्बक्त को नींद आ जाए.....
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"घने बादल में ठहरा वो कभी इक बूंद निकलेगा मिटाने दिल की मायूसी नमी होंठों से फिसलेगा
तुम्हारे याद में जलता रहूंगा मैं सवेरा बन मेरे हर शाम की ख्वाहिश तू बनकर चली आना"
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"कभी तुझमें मुकम्मल हो तो लगती नींद जन्नत सी शमा मुझमें ठहर जाए ख़ुदा से एक मन्नत थी
चुरा लूं मैं तुझे चंदा मेरी तारों के महफ़िल से फसे दिल के समंदर में किनारा एक मिल जाए"
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कुछ पल तेरी ही नाम के कुछ रह गए आवाज हैं
सिक्के बहुत इस जश्न में तेरी कमी पर आज है...
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तुम जमाने को होकर चली लाजमी... चांद, तारों को यूं फिर मिला ही नहीं
सांझ कल भी हुए थें जहां में मगर रात दिल से अभी तक ढला ही नहीं
तुम जमाने को होकर चली लाजमी...
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पल मिलें कुछ बात हो चंदा चमकती रात हो
खुशियां कदम को चूम ले आंखें बहे बरसात हो...
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"इक ज़रिया जिद-ओ-ज़हन में पाने की तुझको सोती शाम में निकाला था
अजमाइशें तारों सी बढ़ती गई किन्हीं तस्वीर में तन्हाई के आलम में भी वो चांद हमारा था"
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मेरी रातों के मुकद्दर में ठहरी यादों का सहर लौटा दे मुझे
मेरे हासिल, मेरे ख्वाबों का गुजर लौटा दे मुझे....
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निगाहों के अफसानों ने बहुत कुछ किया, मगर जो उतर सके दिल की गहराईयों में....
वो दवा तुम्हारे पास ही है.....
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"सितारों की बाहों में वो तड़पती निगाहें चिराग़ों के भी घर में अंधेरे किए हैं
ज़ख्मों का ये निवाला मेरे पास ही रहने दो खुशियों की सदाएं तुम्हारे लिए हैं"
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- Rishabh Bhatt